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Saturday, February 6, 2010

ख्वाहिशें

मौजूँ है ढका आसमाँ जैसे एक मुसाफ़िर के बसर के लिए
मौजूँ है बुझती हुई शमा जैसे अगवानी में सहर के लिए
उस एक "पल की" यादें जरुरी हैं जैसे सारी उमर के लिए
जख्म पुराना ही सही पर जैसे जरुरी है शायर के लिए
जिसे सहेज कर रख सकूँ ऐसी यादें नज़र कर जाइएगा
दोस्ती कीजिए या दुश्मनी बस रिश्ते बनाकर जाइएगा

तारीखों में जो नज़र ही न आए वो इतिहास ही नही
अंदर जो घुट कर मर जाए वो एहसास ही नही
वक्त के साथ जो उम्मीद दफ़्न हो जाए वो रास्तों की तलाश नहीं
जिसके बिना भी जिंदगी चल जाए किसी के आने की आस नही
हर जगह आप मिलें बारिश की बूँदे बन बिखर जाइएगा
दोस्ती कीजिए या दुश्मनी बस रिश्ते बनाकर जाइएगा

जिनके पास रोशनी के समुन्दर हों वो दुआ करें कि रात लम्बी हो
जिन्हे लहरों पर भरोसा न हो वो कहें साथ के लिए पगडंडी हो
जो हमेशा गम के मारें हों दुनिया उनके लिए गमगीन हो
खूबसूरती की ख्वाहिश हर सिम्त जिन्हें हर पल उनका हसीन हो
’शैल’ के ख्वाबों की ताबीर आप हैं तसव्वुर में ठहर जाइएगा
दोस्ती कीजिए या दुश्मनी बस रिश्ते बनाकर जाइएगा

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